उन बलिदानों के सम्मान में हम सब ध्वज आरोहण करते हैं। उन बलिदानों के सम्मान में हम सब ध्वज आरोहण करते हैं।
वो निकली थी घर से तक़दीर बदलने अपनी। वो निकली थी घर से तक़दीर बदलने अपनी।
सबको पथ दिखलाने वाला। ऐसा भारत देश निराला।। सबको पथ दिखलाने वाला। ऐसा भारत देश निराला।।
हाँ मैं एक नारी हूँ। हाँ मैं एक नारी हूँ।
जहां पड़ी हैं बहुत सी किताबें, बिखरी, बिखरी धूल खाती वो किताबें जिनके बिना ज़िन्दगी थी अधूरी ... जहां पड़ी हैं बहुत सी किताबें, बिखरी, बिखरी धूल खाती वो किताबें जिनके बिना...
तुझ जैसा गर न बन पाया, क्या खुद सा रह पाऊँगा। तुझ जैसा गर न बन पाया, क्या खुद सा रह पाऊँगा।